मोक्षदा एकादशी को हिंदू धर्म में अत्यधिक शुभ और मोक्ष प्रदान करने वाला दिन माना गया है। इस दिन का व्रत और पूजा व्यक्ति को पापों से मुक्त कर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इसी दिन अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया गया था, जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। आइए इसके विभिन्न पहलुओं पर नजर डालते हैं:
मोक्षदा एकादशी तिथि और समय
तिथि प्रारंभ: 11 दिसंबर सुबह 3:42 बजे
तिथि समाप्त: 12 दिसंबर रात 1:09 बजे
पारण का समय: 12 दिसंबर सुबह 7:00 से 9:09 बजे
पूजा विधि
- प्रातःकाल की तैयारी:
स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
पीले वस्त्र धारण करें।
- भगवान कृष्ण की पूजा:
श्रीकृष्ण को पंचामृत, तुलसी दल और पीले फूल अर्पित करें।
गीता का पाठ करें या भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
- दान और उपवास:
गरीबों को वस्त्र, अन्न, या धन दान करें।
निर्जल उपवास करना सर्वोत्तम है।
व्रत के नियम
- व्रत से एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद भोजन न करें।
- मन में शांति और सकारात्मकता बनाए रखें।
- चावल और अन्न का सेवन न करें।
- रात को जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
- द्वादशी के दिन ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद पारण करें।
महत्वपूर्ण मंत्र
विष्णु महामंत्र:
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
विष्णु गायत्री मंत्र:
नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्॥
मोक्षदा एकादशी का महत्व
इस दिन व्रत और उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पितरों के उद्धार और उनकी शांति के लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ है।
इसे मौन एकादशी भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन मौन धारण करने का विशेष महत्व है।
ध्यान दें: इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति और सेवा से जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव होता है।