मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव 2025 राजनीतिक दृष्टि से बेहद रोचक और महत्वपूर्ण बन गया है। 17 साल बाद फिर से वही ऐतिहासिक स्थिति देखने को मिल रही है, जब पिता के सांसद रहते उनके बेटे ने विधायक बनने के लिए चुनावी मैदान में कदम रखा है।
2007 का इतिहास और सेन परिवार का दबदबा
2004 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कद्दावर नेता मित्रसेन यादव तीसरी बार सांसद बने थे। इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र आनंदसेन यादव ने बसपा के टिकट पर मिल्कीपुर सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बने। विधायक बनने के बाद उन्हें बसपा सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया गया।

2012 में यह सीट सुरक्षित घोषित हो गई, और समाजवादी पार्टी (सपा) के अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की। 2017 में भाजपा के बाबा गोरखनाथ ने सपा के अवधेश प्रसाद को हराया। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद ने फिर से अपनी जीत दर्ज की।
2024 लोकसभा चुनाव के बाद की स्थिति
2024 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा के वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद फैजाबाद संसदीय सीट से सांसद बने। उनके सांसद बनने के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट खाली हुई, जिसके चलते यह उपचुनाव हो रहा है। इस बार सपा ने सांसद पुत्र अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने नामांकन दाखिल कर दिया है।
भाजपा बनाम सपा: सीधी टक्कर
इस चुनाव में मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच है। भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है ताकि इस सीट पर कब्जा किया जा सके। वहीं, सपा अपने परंपरागत वोटबैंक और पारिवारिक प्रभाव के दम पर जीत का दावा कर रही है। इसके अलावा, आजाद समाज पार्टी से सपा के बागी सूरज चौधरी भी चुनावी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला और रोचक हो गया है।

राजनीतिक संदेश और महत्व
यह चुनाव न केवल स्थानीय राजनीति में सेन परिवार के दबदबे की परीक्षा है, बल्कि प्रदेश की राजनीति पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि सेन परिवार का रिकॉर्ड बरकरार रहता है या फिर भाजपा नई इबारत लिखती है।
इस चुनाव के परिणाम भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेंगे।