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पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविड़: पद्मश्री सम्मान से अलंकृत, संस्कृति और ज्योतिष सेवा के अद्वितीय प्रेरणास्त्रोत

पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ को 2025 में पद्मश्री से सम्मानित किया जाना उनके अद्भुत योगदान और तपस्वी जीवन का प्रमाण है। उनका ज्योतिष और शास्त्रों में योगदान, साथ ही उनके द्वारा राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन के शुभ मुहूर्त निकालना, उनकी विद्वता और संस्कृति-सेवा का परिचायक है।

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पंडित गणेश्वर शास्त्री का जीवन सादगी और ऋषि-परंपरा का उत्कृष्ट उदाहरण है। उनका जन्म 9 दिसंबर 1958 को काशी के रामनगर में हुआ, और उन्होंने रामसेतु को बचाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान दिया। उनका जीवन दर्शन शास्त्रों और धर्म के गहन ज्ञान से परिपूर्ण है।

पंडित द्राविड़ के पिता और गुरु दोनों ही प्रतिष्ठित पद्मभूषण से सम्मानित हो चुके हैं, जिससे यह परंपरा और भी गौरवशाली बनती है। पंडित गणेश्वर शास्त्री का कहना कि उन्होंने सम्मान के लिए नहीं, बल्कि कर्म को धर्म मानकर कार्य किए, उनकी विनम्रता को दर्शाता है।

पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ एक प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और वैदिक परंपरा के संरक्षक हैं, जिन्होंने भारतीय संस्कृति, ज्योतिष और धर्मशास्त्र में विशेष योगदान दिया है। उनका जन्म 9 दिसंबर 1958 को काशी के रामनगर में हुआ था। वे अयोध्या के राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन जैसे महत्वपूर्ण अवसरों के शुभ मुहूर्त निर्धारण के लिए प्रसिद्ध हैं।

  1. वैदिक ज्ञान में पारंगत:
    पंडित द्राविड़ को सभी शास्त्रों का गहन ज्ञान है। उन्होंने शास्त्रों के समन्वय से कई सिद्धांत विकसित किए हैं।
  2. सरल और तपस्वी जीवन:
    वे यम-नियम का पालन करते हैं, साधु-संतों जैसा जीवन जीते हैं, और केवल धोती धारण करते हैं।
  3. सम्मान और पुरस्कार:
    पंडित गणेश्वर शास्त्री को पद्मश्री के अलावा तर्कवागीश, राष्ट्रीय पंडित पुरस्कार, और जगद्गुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार जैसे अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं।
  4. अन्य योगदान:
    उन्होंने रामेश्वर में जाकर रामसेतु की सुरक्षा का संकल्प पूरा किया और सांग्वेद विद्यालय का संचालन किया।

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