Thu. Mar 13th, 2025

चीन ने भारत को पछाड़ा! विदेशी निवेशकों के लिए बना पहली पसंद

विदेशी निवेश, भारतीय शेयर बाजार, एफपीआई बिकवाली, रुपये में गिरावट, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड, चीन में निवेश, भारत vs चीन निवेश, स्टॉक मार्केट, निवेश रणनीति, भारतीय अर्थव्यवस्था, FPI Outflow, Indian Stock Market, Rupee Fall, US Bond Yield, Foreign Investment, China vs India, Investment Trends, Market Volatility, Economic Growth भारतीय शेयर बाजार संकट, एफपीआई भारत से बाहर, चीन में निवेश वृद्धि, रुपये की कमजोरी, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड का असर, शेयर बाजार उतार-चढ़ाव, भारत की अर्थव्यवस्था, विदेशी निवेशक रुझान, निवेशक अस्थिरता, बाजार विश्लेषण, Indian Stock Crisis, FPI Sell-off, China Investment Rise, Rupee Depreciation, US Bond Yield Impact, Stock Market Fluctuation, Indian Economy, Investor Trends, Market Instability, Financial Analysis,
चीन में बढ़ रहा निवेश, भारत में खतरा!

मनोज शुक्ल

नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 2025 में अब तक भारतीय शेयर बाजार से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। दूसरी ओर, चीन में विदेशी निवेशकों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। वैश्विक आर्थिक संकेतकों के अनुसार, भारत में रुपये की कमजोरी, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और कंपनियों के कमजोर वित्तीय नतीजों ने विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित किया है।

एलारा सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से लगातार पांचवें महीने पूंजी निकासी जारी है। फरवरी के पहले दो हफ्तों में ही करीब 40.5 करोड़ डॉलर का विदेशी निवेश भारत से निकाला गया, जिसमें से 23.8 करोड़ डॉलर ‘डेडिकेटेड फंड्स’ से बाहर निकले। वहीं, चीन में पिछले दो हफ्तों में 57.3 करोड़ डॉलर का नया निवेश आया है, जो अक्टूबर 2024 के बाद सबसे अधिक है।

रुपये की कमजोरी भारतीय शेयर बाजार को और कमजोर बना रही है। शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 86.85 पर पहुंच गया। अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड में वृद्धि से निवेशकों को भारतीय बाजार कम आकर्षक लग रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक अमेरिकी बॉन्ड यील्ड ऊंची रहेगी और डॉलर मजबूत रहेगा, तब तक एफपीआई की बिकवाली का दबाव बना रहेगा।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “जब तक विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहेगी, भारतीय शेयर बाजार में मजबूती की संभावना कम है। डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट ही एफपीआई को दोबारा आकर्षित कर सकती है।”

ब्रोकरेज फर्म्स का कहना है कि विदेशी निवेशक अब चीन को भारत के मुकाबले अधिक आकर्षक मान रहे हैं। बीते कुछ हफ्तों में चीन में विदेशी निवेश तेजी से बढ़ा है, जिससे भारत के लिए चुनौती और बढ़ गई है।

Related Post

Leave a Reply