2025 में अब तक भारतीय शेयर बाजार से एफपीआई ने 1 लाख करोड़ रुपये निकाले, जबकि चीन में विदेशी निवेश बढ़ रहा है। रुपये में गिरावट, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और कमजोर तिमाही नतीजे इसकी वजह बने। जानें इस स्थिति का असर।
मनोज शुक्ल
नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 2025 में अब तक भारतीय शेयर बाजार से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। दूसरी ओर, चीन में विदेशी निवेशकों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। वैश्विक आर्थिक संकेतकों के अनुसार, भारत में रुपये की कमजोरी, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और कंपनियों के कमजोर वित्तीय नतीजों ने विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित किया है।
डरा रहे हैं ये आंकड़े
एलारा सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से लगातार पांचवें महीने पूंजी निकासी जारी है। फरवरी के पहले दो हफ्तों में ही करीब 40.5 करोड़ डॉलर का विदेशी निवेश भारत से निकाला गया, जिसमें से 23.8 करोड़ डॉलर ‘डेडिकेटेड फंड्स’ से बाहर निकले। वहीं, चीन में पिछले दो हफ्तों में 57.3 करोड़ डॉलर का नया निवेश आया है, जो अक्टूबर 2024 के बाद सबसे अधिक है।
एफपीआई की बिकवाली से बाजार में उथल-पुथल
रुपये की कमजोरी भारतीय शेयर बाजार को और कमजोर बना रही है। शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 86.85 पर पहुंच गया। अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड में वृद्धि से निवेशकों को भारतीय बाजार कम आकर्षक लग रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक अमेरिकी बॉन्ड यील्ड ऊंची रहेगी और डॉलर मजबूत रहेगा, तब तक एफपीआई की बिकवाली का दबाव बना रहेगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “जब तक विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहेगी, भारतीय शेयर बाजार में मजबूती की संभावना कम है। डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट ही एफपीआई को दोबारा आकर्षित कर सकती है।”
चीन में बढ़ रहा निवेश, भारत में खतरा!
ब्रोकरेज फर्म्स का कहना है कि विदेशी निवेशक अब चीन को भारत के मुकाबले अधिक आकर्षक मान रहे हैं। बीते कुछ हफ्तों में चीन में विदेशी निवेश तेजी से बढ़ा है, जिससे भारत के लिए चुनौती और बढ़ गई है।
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