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विश्ववार्ता अखबार का निकला दिवाला, नहीं दे पा रहा कर्मचारियों का बकाया वेतन

“विश्ववार्ता में वरिष्ठ पत्रकारों को महीनों से वेतन नहीं दिया गया, साथ ही कार्यालय में अनुशासनहीनता, मानसिक प्रताड़ना और महिला कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार जैसी घटनाओं के भी आरोप हैं। अब पत्रकार न्याय की मांग कर रहे हैं। इस मसले पर पीड़ित पत्रकार मनोज शुक्ला (कंटेंट एडिटर) ने भड़ास4मीडिया को मेल भेजकर क्या कुछ कहा बताया है.. नीचे पढ़ें..”

लखनऊ: देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता की धुरी बनने का दावा करने वाले अखबार विश्ववार्ता डिजिटल में पत्रकारों के शोषण और बकाया वेतन न देने का गंभीर मामला सामने आया है। संस्थान के प्रमुख आशीष वाजपेई महीनों से वेतन भुगतान नहीं कर रहे हैं, जिससे पत्रकारों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है।

वरिष्ठ कंटेंट एडिटर मनोज शुक्ल सहित कई पत्रकारों का नवंबर, दिसंबर और जनवरी का वेतन बकाया है। जब पत्रकारों ने वेतन भुगतान के लिए संपर्क करने की कोशिश की, तो न तो कॉल का जवाब दिया गया और न ही व्हाट्सएप संदेशों का उत्तर मिला।

अनुशासनहीनता और प्रताड़ना का माहौल

संस्थान में न केवल वेतन को लेकर लापरवाही बरती जा रही है, बल्कि कार्यस्थल का माहौल भी अत्यंत अनुशासनहीन और असुरक्षित हो चुका है।

  1. महिला कर्मचारियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं हो चुकी हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
  2. रात में कार्यालय में शराबखोरी आम हो गई है, जिससे पेशेवर माहौल प्रभावित हो रहा है।
  3. प्रवीण खरे नामक कर्मचारी कार्यालय में गाली-गलौज और अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं, जिससे अन्य कर्मचारी असहज महसूस करते हैं।
  4. मानसिक प्रताड़ना के लिए आशीष वाजपेई, प्रवीण खरे और सीए सौरभ श्रीवास्तव को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

प्रबंधन की मनमानी से पत्रकार परेशान

संस्थान में कार्यरत अन्य पत्रकारों योगेंद्र मिश्र, हिमांशू शुक्ल, समेत कई मीडियाकर्मी वेतन न मिलने और दुर्व्यवहार से परेशान हैं।

जब इस मामले में संपादक मनोरंजन सिंह से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया: “प्रिय मनोज, तुम सच तो जानते ही हो, तो यह पत्र मुझे भेजने से क्या फायदा? तुम स्वतंत्र हो, जो चाहो वह करो।”

संस्थान से न्याय न मिलने पर श्रम विभाग में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है।

मीडिया संगठनों और पत्रकार संघों से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की गई है।

पत्रकारों का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे कानूनी कार्रवाई करने पर मजबूर होंगे।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज शुक्ल का कहना है ऐसे संस्थान जो पत्रकारों का शोषण करते हों उन्हें तत्काल रूप से बंद किया जाना चाहिये और उनके मालिकों पर कठोर कार्यवाई होनी चाहिये जिससे कभी भी किसी दूसरे पत्रकारों का शोषण न हो सके।

अब देखना यह होगा कि विश्ववार्ता प्रबंधन इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या पत्रकारों को उनका हक मिलेगा या नहीं।

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