सोनौली बॉर्डर। चीनी उत्पादों की तस्करी, विशेष रूप से फल और सब्जियों की, भारतीय बाजारों में एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। हाल ही में चीनी आम की बरामदगी ने इस बात की पुष्टि की है कि सरहद पर कड़ी निगरानी के बावजूद ये उत्पाद भारत में प्रवेश कर रहे हैं। तातोपानी सीमा के खुलने के बाद चीन से नेपाल के जरिए भारत में लहसुन, सेब और अब आम जैसी वस्तुओं की तस्करी बढ़ गई है।
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चीनी आम, जो नेपाल में 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं, भारत में इसकी मांग बढ़ने के कारण ऊंची कीमतों पर बेचे जा रहे हैं। आम की तस्करी का मुख्य मार्ग सोनौली, खनुवा, बढ़नी और नानपारा बॉर्डर है, जहां से यह गोरखपुर, कानपुर और लखनऊ की मंडियों तक पहुंचाए जा रहे हैं। इन मंडियों में पहुंचने पर चीनी आम को पहचानना मुश्किल हो जाता है, जिससे तस्करों को अधिक लाभ हो रहा है।
चीन के फल आमतौर पर तिब्बत-नेपाल व्यापार मार्ग के जरिए आते हैं, और स्थानीय तस्कर इन फलों को अवैध गोदामों में स्टोर कर, छोटे-बड़े वाहनों से भारतीय बाजारों में पहुंचा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां इस गतिविधि पर निगरानी बढ़ा रही हैं, लेकिन सीमाओं पर कड़ी चौकसी के बावजूद तस्कर अपने तरीकों में माहिर होते जा रहे हैं।
हाल ही में नौ बोरी प्याज की तस्करी का मामला भी सामने आया है, जिसे पुलिस ने नेपाल भेजे जाने से पहले पकड़ा। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तस्करी से निपटने के लिए अधिक कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस मुद्दे को लेकर व्यापारिक सुरक्षा और सीमा प्रबंधन एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ाने की जरूरत है, ताकि इस तरह के अवैध कारोबार पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।