Wed. Mar 12th, 2025

क्या शास्त्रों के विरूद्ध है महाश्मशान की होली?, मसान की होली को लेकर शुरू हुआ विवाद

वाराणसी; काशी एकमात्र ऐसा अद्भुत शहर है. जहां मृत्यु और शोक के बीच भी होली का जश्न मनाया जाता है. रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर मसाने की होली की परंपरा है. महाश्मशान पर होने वाली इस चिता भस्म की होली पर अब विवाद खड़ा हो गया है. सनातन रक्षक दल ने लोगों ने अब इसके खिलाफ आवाज उठाई है, और महाश्मशान में होने वाली होली को शास्त्र के विरुद्ध बताया है.

गृहस्थों के लिए महाश्मशान में होली खेलने का कोई नहीं है शास्त्रीय प्रमाण

बता दें कि सनातन रक्षक दल के साथ काशी विद्वत परिषद और अन्य संगठन भी इसके खिलाफ हैं. काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि गृहस्थों के लिए महाश्मशान में होली खेलने का कोई भी शास्त्रीय प्रमाण नहीं है. लोग भ्रमित होकर शास्त्र विरुद्ध इस परंपरा से जुड़ रहें हैं, जो पूरी तरह से गलत है. इसी क्रम में उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ लोग निजी फायदे के लिए ऐसे आयोजनों को परंपरा का नाम दें रहे है.

अदृश्य रूप में आते हैं महादेव

वहींं, इन तमाम आरोपों के बीच मणिकर्णिका घाट पर मसाने की होली का आयोजन करने वाले गुलशन कपूर ने विरोध करने वाले विद्वानों को शास्त्रार्थ की चुनौती दी है. गुलशन ने बताया कि यह परंपरा अति प्राचीन है, और ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव रंगभरी एकादशी के बाद अपने गढ़ों के साथ होली खेलने अदृश्य रूप में काशी के महाश्मशान आते हैं.

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