वाराणसी; धर्म नगरी काशी में पंचक्रोशी परिक्रमा पथ नागा संतों के हर-हर, बम-बम से गूंज रहा है। श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के अगुवाई मे तीसरे दिन शुक्रवार को भीमचंडी से नागा संत जंसा व भाऊपुर रामेश्वर मार्ग से महादेव के दरबार में पहुंचे।
इस दौरान नागा संतों की सुरक्षा व्यवस्था में थानाध्यक्ष जंसा दुर्गा सिंह, चौकी प्रभारी क़स्बा जंसा विवेकानन्द ,उप निरीक्षक प्रीतम तिवारी आदि पुलिस अफसर लगे रहे। रामेश्वर महादेव मंदिर में संतों ने विधि-विधान से दर्शन-पूजन किया। 75 किलोमीटर के इस परिक्रमा पथ की यात्रा पांच दिनों में पूरी होगी। मणिकर्णिका घाट पर संकल्प लेकर नागा साधुओं ने यात्रा आरंभ की थी। महा कुंभ में अमृत स्नान करने के बाद काशी लौटे नागा साधु पुण्य यात्रा में रामेश्वर से पांचों पंडवा होकर अंतिम पड़ाव कपिलधारा जाएंगे। फिर मणिकर्णिका पहुंचकर यात्रा का संकल्प पूरा करेंगे।

बताते चलें पंचकोशी यात्रा काशी (वाराणसी) की एक प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जिसमें श्रद्धालु लगभग 80 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। इस परिक्रमा का उद्देश्य काशी क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों और तीर्थस्थलों का दर्शन और पुण्य अर्जन करना होता है। परिक्रमा मार्ग में कुल 108 शिवलिंग और अनेक देवी-देवताओं के मंदिर स्थित हैं, जो भक्तों के आस्था का केंद्र हैं।
महाकुंभ 2025 के समापन के बाद नागा साधु और संत काशी में जुटे हैं। यह परंपरा रही है कि महाकुंभ के स्नान के पश्चात, नागा संत काशी आकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन और गंगा स्नान करते हैं। इस अवसर पर उन्होंने पंचकोसी परिक्रमा भी आरंभ की है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा और तप की प्रतीक मानी जाती है। नागा संतों की यह परिक्रमा और उनकी साधना न केवल आध्यात्मिकता बल्कि संस्कृति और परंपरा का अद्भुत संगम है।