जयपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के जीए ऑफिस में संविदा पर कार्यरत मनीष सैनी ने शुक्रवार सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मनीष पिछले 18 साल से संविदा कर्मचारी के रूप में काम कर रहे थे और उन्हें हर महीने केवल 5600 रुपए मानदेय मिलता था, जो कि पिछले पांच महीनों से रुका हुआ था। इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। मनीष ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपनी कठिनाइयों का जिक्र किया और राज्य सरकार से अपने परिवार के लिए मदद की अपील की।
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इस दुखद घटना के बाद मनीष के परिजनों ने 1 करोड़ रुपए मुआवजा और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग की। लंबी बातचीत के बाद 11 लाख रुपए मुआवजा, मृतक की पत्नी को संविदा नौकरी, और अन्य संविदाकर्मियों के वेतन बढ़ाने पर सहमति बनी। इस मामले से जुड़ा संविदाकर्मियों का मानदेय केस फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
यह घटना संविदा कर्मचारियों की आर्थिक समस्याओं और अस्थिर रोजगार की चुनौतियों को उजागर करती है, जिसके कारण मनीष ने यह कठोर कदम उठाया।