कानपुर: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में शनिवार को आयोजित एक महत्वपूर्ण सीपीसी (क्लीनिकल पैथोलॉजिकल कॉन्फ्रेंस) में एक अत्यंत दुर्लभ और जटिल कैंसर केस पर चर्चा की गई, जो न केवल मेडिकल कॉलेज के लिए, बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भी एक मील का पत्थर साबित हुआ। इस दुर्लभ कैंसर का नाम एंजियो सार्कोमा था, जो हाथ की रक्त वाहिकाओं में विकसित हुआ था। यह बीमारी इतनी दुर्लभ है कि इसके इलाज के लिए पहले कोई भी सही निदान नहीं कर पाया था।
यह 26 वर्षीय महिला मरीज बिहार की निवासी थी, जो पिछले चार वर्षों से इस बीमारी से पीड़ित थी। उसने पहले बिहार और कोलकाता में इलाज करवाया था, लेकिन उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ और बीमारी लगातार बढ़ती रही। अंततः मरीज ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर का रुख किया, जहां उसे सही निदान और उपचार मिला।
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सीपीसी में डॉ. कुश पाठक (ऑंकोलॉजिस्ट) ने इस दुर्लभ कैंसर के बारे में विस्तार से बताया और बताया कि कैसे उन्होंने इस मरीज की सर्जरी की। इस सर्जरी की सफलता ने न केवल मरीज का जीवन बचाया, बल्कि मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक और छात्रों के लिए भी एक प्रेरणा का काम किया।
डॉ. चयनिका काला (हिस्टोपैथोलॉजिस्ट) ने मरीज की हिस्टोपैथोलॉजिकल बायोप्सी की जानकारी दी और कैसे बायोप्सी ने इस दुर्लभ कैंसर का सही निदान करने में मदद की। वहीं, डॉ. युगल राजपूत ने ऐसे अन्य कैंसर के प्रकारों के बारे में बताया जो इस बीमारी से मिलते-जुलते हैं, जिससे डॉक्टरों और मरीजों को भ्रम हो सकता था।
इस सीपीसी का उद्देश्य केवल इस एक केस की समीक्षा नहीं था, बल्कि इसे एक शैक्षिक अवसर के रूप में देखा गया, जिससे भविष्य में इस प्रकार के दुर्लभ रोगों के निदान और उपचार में सहायता मिलेगी। डॉक्टरों ने इस बैठक में यह निष्कर्ष निकाला कि इस प्रकार के मामलों में विशेषज्ञों का समन्वय और सही समय पर निदान सबसे महत्वपूर्ण होता है।
इस सीपीसी का उद्घाटन डॉ. संजय काला, प्रधानाचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने किया। मंच संचालन डॉ. लुबना खान ने किया, जो सीपीसी की सचिव हैं। इस कार्यक्रम में डॉ. नीना गुप्ता (सीपीसी की अध्यक्ष), विभिन्न विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, और मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।
यह सीपीसी न केवल रोगी के इलाज की सफलता को दर्शाता है, बल्कि पीजी छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षिक अवसर भी था, जिससे उन्हें इस प्रकार के जटिल रोगों के निदान और उपचार के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त हुई।
–पुलिन त्रिपाठी