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आईआईएम-आईआईटी की तर्ज पर देश में खुलेंगे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अकाउंटिंग

आईआईएम-आईआईटी की तर्ज पर देश में खुलेंगे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अकाउंटिंग
आईआईएम-आईआईटी की तर्ज पर देश में खुलेंगे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अकाउंटिंग

कोटा। मोहनलाल सुखाड़िया विश्व विद्यालय एवं इंडियन अकाउंटिंग एसोसिएशन द्वारा अकाउंटिंग एवं फाइनेंस पर उदयपुर में 13 व 14 सितंबर को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयाजित की गई। कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि महिला विकास राज्य मंत्री प्रो.मंजू बाघमार एवं विशिष्ट अतिथि वीएमआयू कोटा के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी, जनार्दन नगर विद्यालय के कुलपति प्रो. सारंग देवत, हायर एजुकेशन काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष प्रो.चुंडावत एवं पूर्व डीन प्रो. के आर शर्मा रहे। सत्र की अध्यक्षता मोहनलाल सुखाड़िया विद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने की। कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के प्रतिभागियों ने 150 शोध पत्र प्रस्तुत किए। भारत के 18 राज्यों से शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।

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इस अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस के तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता कोटा यूनिवर्सिटी के वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग की एचओडी डॉ मीनू माहेश्वरी ने बताया कि मोदी सरकार ने 30 मार्च 2022 को लोकसभा में बिल पारित कर देश में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ अकाउंटिंग (आईआईए) स्थापित करने की घोषणा की है। जिस पर पैनल गठित कर तेजी से कार्य चल रहा है। देश में लेखांकन के विकास एवं उन्नति में यह मील का पत्थर साबित होगा। नेशनल इंस्टीट्यूट के माध्यम से कॉमर्स के लाखों विद्यार्थियों के लिए अकाउंटिंग में शोध के नए क्षेत्र सामने आएंगे और नई तकनीक से उनको रोजगार के नये अवसर भी मिल सकेंगें।

डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं आज लेखांकन सिस्टम सिंगल एंट्री, डबल एंट्री से ट्रिपल एंट्री की ओर बढ़ रहा है । सोशल एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग पर जोर हो रहा है। एनवायरमेंट, सस्टेनेबिलिटी गवर्नेंस रिपोर्टिंग की जा रही है, जिसमें आर्थिक सामाजिक गवर्नेंस पैरामीटर पर रिपोर्टिंग की जा रही है।

अकाउंटिंग डेटा मैनेजमेंट बड़ी चुनौती

डॉ मीनू माहेश्वरी ने कहा कि अकाउंट्स क्षेत्र में सबसे बडी चुनौती डेटा मैनेजमेंट की है। कॉर्पोरेट कंपनियां, उद्यमी, व्यवसायी सॉफ्टवेयर द्वारा बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहित करते हैं लेकिन इस महत्वपूर्ण डेटा को इंटीग्रेशन करना मुश्किल होता है। एआई के माध्यम से भी अकाउंट्स के क्षेत्र में नये बदलाव आ रहे हैं। वर्तमान में जब कंप्यूटराइज्ड अकाउंटिंग एआई बेस्ड हो रही है तो आवश्यक है कि स्टूडेंट्स व शोधार्थी अपने शोध को अकाउंटिंग टेक्नोलॉजी, एडवांस टेक्नोलॉजी, एआई से लेखांकन कार्य करें।

उन्होंने लेखांकन एवं वित्त क्षेत्र में नवाचारों पर शोध करने का आव्हान किया। इसके लिये प्रॉडक्ट लेखांकन, सस्टेनेबल अकाउंटिंग एवं रिपोर्टिंग, हरित एवं पर्यावरणीय लेखांकन, जलवायु परिवर्तन लेखांकन की आवश्यकता पर जानकारी दी। साथ ही, कॉरपोरेट गवर्नेंस, क्रिया आधारित लागत लेखांकन, कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिट, बैलेस्ड स्कोर कार्ड, एकीकृत लेखांकन एवं एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग, फॉरेंसिक अकाउंटिंग, आईएफआरएस आदि में शोध करने पर फोकस किया।

वक्ताओं ने बदलते वैश्विक परिदृश्य में एथिक्स इन अकाउंटिंग, कॉग्निटिव अकाउंटिंग, लीन अकाउंटिंग, ह्यूूमैनिटेरियन अकाउंटिंग, क्लाउड बेस्ड अकाउंटिंग, मोबाइल अकाउंटिंग, बिहेवियरल फाइनेंस, फिन टेक, बिग डाटा एनालिसिस सहित ब्लॉकचेन एवं क्रिप्टो करेंसी तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लेखांकन एवं वित्त क्षेत्र में अनुप्रयोगों के लिये अधिक शोध करने पर जोर दिया। तकनीकी सत्र के अध्यक्ष पूर्व डीन एवं हेड प्रो. पीके सिंह तथा सह अध्यक्ष प्रो.मीरा माथुर डायरेक्टर एफएमएस रही। कांफ्रेंस में डॉ.मीनू माहेश्वरी एवं डॉ. अशोक गुप्ता के निर्देशन में शोधार्थी प्रज्ञा गोद हेमलता तक प्रियंका दहिया ने अपना शोध पुत्र प्रस्तुत किया।

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