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RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान: कम से कम 3 बच्चे होने चाहिए

RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान: कम से कम 3 बच्चे होने चाहिए
RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान: कम से कम 3 बच्चे होने चाहिए

मोहन भागवत। प्रजनन दर 2.1 से कम नहीं होनी चाहिए। जिस समाज की प्रजनन दर 2.1 से नीचे जाता है। वो समाज लुप्त हो जाता है। हमारे दो से तीन बच्चे होना जरूरी है।

उन्होंने साथ ही आह्वान किया कि प्रत्येक हिंदू के दो से तीन बच्चे तो होने ही चाहिए। इसका मतलब यह है कि आरएसएस प्रमुख हम दो हमारे दो। हम दो हमारा एक, टाइप के नारों पर खास यकीन नहीं रखते।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का यह बयान न केवल जनसंख्या नीति पर नई बहस को जन्म देता है, बल्कि इसे भारत में बदलते सामाजिक और जनसांख्यिकीय परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। उनके बयान के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  1. प्रजनन दर का महत्व: भागवत ने 2.1 की प्रजनन दर बनाए रखने की बात की। यह आंकड़ा “Replacement Level Fertility” कहलाता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि एक पीढ़ी खुद को अगली पीढ़ी में स्थिरता से प्रतिस्थापित कर सके। अगर यह दर इससे कम हो जाती है, तो समाज की जनसंख्या धीरे-धीरे कम होने लगती है।
  2. समाज के अस्तित्व की चिंता: भागवत का मानना है कि अगर प्रजनन दर गिरती है, तो यह समाज के लिए दीर्घकालिक खतरा पैदा कर सकता है।
  3. ‘हम दो, हमारे दो’ की आलोचना: भागवत ने इस नारे पर सवाल उठाते हुए इसे अपर्याप्त बताया और ‘दो या तीन बच्चों’ की वकालत की।

भारत में पहले से ही बढ़ती जनसंख्या एक चुनौती रही है। जनसंख्या नियंत्रण नीतियों ने “हम दो, हमारे दो” जैसे नारों को बढ़ावा दिया है। ऐसे में, भागवत का यह बयान सरकार की नीतियों और सामाजिक चिंताओं के साथ टकराव पैदा करता है।

  1. समर्थन: कुछ लोग इसे भारतीय समाज के भविष्य को सुरक्षित करने की चिंता के रूप में देख सकते हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां जनसंख्या घटने के संकेत मिल रहे हैं।
  2. आलोचना: कई लोग इसे जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों को कमजोर करने और संसाधनों पर बढ़ते दबाव को अनदेखा करने के रूप में देख सकते हैं।

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