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भारत ने गौरव से मनाया 76 गणतंत्र दिवस, इस बार कुछ अलग रही थीम

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गणतंत्र दिवस: कब और क्यों मनाया जाता है?

हर साल 26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस दिन 1950 में भारतीय संविधान लागू हुआ था, जिससे भारत एक संप्रभु गणराज्य बना। गणतंत्र दिवस, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और संविधान के महत्व को सम्मानित करने का दिन है। यह दिन भारत के लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत अपनी समृद्ध विरासत और विकास की यात्रा का उत्सव मनाता है। लखनऊ के इंदिरानगर स्थित भोला मार्केट समेत पूरे देश में यह पर्व हर्ष और उत्साह से मनाया गया।

गणतंत्र दिवस पर प्रमुख आयोजन

गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के राजपथ पर भव्य परेड का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के जवान अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। इसके साथ ही विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक प्रदर्शन और झांकियां भी प्रस्तुत की जाती हैं, जो देश की सांस्कृतिक विविधता और एकता को दर्शाती हैं। यह परेड भारत की समृद्ध विरासत, शक्ति और विविधता का प्रतीक है।

गणतंत्र दिवस 2025 की थीम

भारत के 76वें गणतंत्र दिवस की थीम ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ रखी गई है। यह थीम भारत की गौरवमयी विरासत को संरक्षित रखते हुए देश की प्रगति और समृद्धि की यात्रा को दर्शाती है।

भारतीय संविधान का महत्व

भारतीय संविधान को तैयार करने में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। इसे 26 नवंबर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया गया था, लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया, जिससे भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। इस दिन का उद्देश्य भारतीय नागरिकों के अधिकारों, स्वतंत्रता और समानता का सम्मान करना है।

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा सम्मान

गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत के राष्ट्रपति विभिन्न नागरिकों और सैनिकों को प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्रदान करते हैं। ये पुरस्कार समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए दिए जाते हैं। सम्मानित व्यक्तियों को पद्मश्री, पद्मभूषण और भारत रत्न जैसे पुरस्कार दिए जाते हैं। भोला मार्केट में हुए समारोह में पार्णद अशोक कुमार उपाध्याय, रामफल बोधी, हरिपाल सिंह, विशाल अंकुर श्रीवास्तव, रिषभ गुप्ता, अनिल, आषीष, विकास, प्रकाश, हिमांशु शुक्त, पुलिन त्रिपाठी, विजय शंकर तिवारी, अनिल मौर्य,देवेश त्रिपाठी और मैथलीशरण गुप्त मौजूद थे।

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